Major rivers of india.

भारत की प्रमुख नदियाँ | Major Rivers Of India.

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भारत की प्रमुख नदियाँ | Major Rivers Of India.

भारत एक कृषि प्रधान देश है इसमें सबसे बड़ा उपयोग नदियाँ का है जिसका उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और फैक्ट्री चलती है. आज हम भारत की प्रमुख नदियाँ के बारे में जानेंगे, आज हम आपको इन सभी नदियों के उद्गम स्थल, इनकी सहायक नदियाँ और ये किन-किन राज्यों से होकर गुजराती है ये सभी जानकारी आज हम आपको Major Rivers Of India के माध्यम से देंगे.

1 – गंगा नदी ( Ganga River ).

यह भारत की एक प्रमुख नदी है और हम भारतीयों के लिए यह नदी सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि मां के समान है जिसे हम गंगा मैया कहते है, पौराणिक कथा के अनुसार भगीरथ ने अपने पूर्वजों के पापों को नाश करने के लिए घोर तपस्या करके माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारा था. यह सिर्फ भारत ही नही बांग्लादेश में भी बहती है जहाँ पर इसे ‘पदमा’ के नाम से जाना जाता है.

यह नदी हिमालय से निकलकर विभिन्न राज्यों और बांग्लादेश से गुजरते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. यह तक पहुचने में ये लगभग 2525 किमी. का सफ़र तय करती है, जिसमे 2071 किमी. भारत में तथा 454 किमी. बांग्लादेश में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है. गंगा नदी में अनेक प्रकार की मछलियाँ, सर्प, कछुए इत्यादि के प्रजाति रहते है.

गंगा नदी का उद्गम स्थल ( Origin of River Ganges ).

गंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय पर्वत के गोमुख नामक स्थान से  3140 मीटर के ऊचाई पर से गंगोत्री से नकलती है. गंगोत्री में गंगा जी का एक मंदिर है जिसका निर्माण अमरसिंह थापा द्वारा 18वीं शताब्दी में कराया गया था. भागीरथी इसकी प्रधान शाखा है जिसका मुख लगभग 3890 मी. की उचाई पर है.

यह हिमनद लगभग 25 किमी. लम्बा, 4 किमी. चौड़ा और लगभग 40 मीटर ऊँचा है. चिरबासा नामक ग्राम जो लगभग 3600 मी. की उचाई पर बसा है वहां से इस उद्गम स्थल का दर्शन होता जिसका जल लगभग 5000 मी. की उचाई पर एक बेसिन जो संतोपथ की चोटियों से आता है.

गंगा के निर्माण में 6 बड़ी और 5 छोटी धाराओं का योगदान है, नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत और कामत पर्वत का हिम पिघलकर मिलता है. अलकनंदा नदी जिसकी सहायक नदिया विष्णु गंगा, धौली और मन्दाकिनी है, लगभग 1372 मी. की उचाई पर अलकनंदा और धौली गंगा का विष्णु गंगा में संगम होता है.

लगभग 2805 मी. पर अलकनंदा का नंदाकिनी नदी से संगम होता है, फिर कर्ण प्रयाग में पिंडर नदी ( कर्ण गंगा ) से संगम होता है, और फिर ऋषिकेश से लगभग 139 किमी. दूर देव प्रयाग में अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम होता है. यही से इन पांच नदियों का सम्मलित रूप ( जिन्हें पांच प्रयाग भी कहाँ जाता है ) लगभग 200 किमी. का पहाड़ी रास्ता छोड़कर गंगा नदी ऋषिकेश से गुजरते हुए हरिद्वार में पहुचती है, और यही से अपने मैदानी भाग का सफ़र शुरू करती है.

गंगा नदी का मैदानी भाग ( Ganga Nadi ka Maidaani bhaag ).

अपने उद्गमस्थल से लगभग 200 किमी. पहाड़ी इलाका छोड़ने के बाद हरिद्वार से 800 किमी. की मैदानी यात्रा करते हुए यह नदी गढ़मुक्तेश्वर पहुचती है, वहां से फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर होते हुए गंगा इलाहबाद ( प्रयागराज ) पहुचती है, यह हिन्दुओ का महत्वपूर्ण स्थान है इसे प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है, यही पर संगम ( गंगा, यमुना और सरस्वती ) स्थित है.

प्रयागराज से निकलकर यह नदी भगवान शिव के नगर काशी में प्रवेश करती है, ये भी हिन्दुओ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. इसके बाद यह मिर्जापुर, पटना, भागलपुर होते हुए पश्चिम बंगाल तक पहुचती है, इस बीच इसमें कई नदियाँ भी आकर मिलती है जैसे- सोन, घाघरा, कोसी इत्यादि.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के गिरिया से यह नदी दो भागों में बट जाती है और इनका नाम भगीरथी और पद्मा हो जाता है, पद्मा नदी दक्षिण-पूर्व की ओर से बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और भगीरथी दक्षिण और बहती हुई हुबली शहर तक जाती है, जहाँ इसका नाम फिर बदलकर हुबली नदी हो जाता है.

पद्मा और भगीरथी नदी के बीच में स्थित है दुनिया का सबसे सुंदर जंगल जिसे सुंदरवन कहा जाता है, यह विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है, जिसमे तरह-तरह के वनस्पतियाँ और वन्य-जीव रहते है. इस भूमि पर ढलान कम होने के कारण गंगा नदी अपने साथ बहाकर लायी गयी मिट्टी को मुहाने पर छोडती है जिससे कई धाराए बनती है जैसे जालंगी, विद्याधरी, भैरव, कालिंदी इत्यादि नदियाँ गंगा की प्रमुख शाखा बन जाती है.

गंगा नदी की सहायक नदियाँ ( Tributaries of Ganga ).

यह भारत की एक प्रमुख नदी है इसकी सहायक नदियाँ – यमुना, सरयू, गंडक रामगंगा, कोशी, महानदी,सोन, गोमती, टोंस और  पुनपुन ये सब नदियाँ गंगा की सहायक नदियाँ है, चंबल और बेतवा ये दोनों गंगा की प्रमुख उप-सहायक नदियाँ है जो गंगा में मिलने से पहले हमीरपुर ( वेतवा ) और जालौन ( चंबल ) के पास सरयू में मिल जाती है, और फिर बाद में आगे जाकर बलिया और छपरा के बीच गंगा में मिल जाती है.

गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख शहर – 

गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख शहर – टिहरी, देवप्रयाग, ऋषिकेश,हरिद्वार, वाराणसी, इलाहबाद, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, बिजनौर, कन्नौज, फर्रुखाबाद  वेगुसराय, साहेबगंज, भागलपुर, बक्सर, पटना, मुंगेर, फर्रक्का, इत्यादि शहर गंगा के किनारे बसे हुए है.

2 – यमुना नदी ( Yamuna River ).

भारत में गंगा के बाद अगर किसी नदी महत्वपूर्ण स्थान है तो वो यमुना जी है, भारत की सबसे पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना जी को माना जाता है,  यमुना नदी ब्रज की सांस्कृतिक और धार्मिक भाव का आधार रही है, ब्रज क्षेत्र का विकास और इसकी संस्कृति का उद्गम इसी नदी के किनारे हुआ है.

भगवान सूर्य को इनका पिता, यमराज को इनका भाई, और सभी के दुलारे और 64 कलाओं को साथ लेकर अवतरित होने वाले प्रभु श्रीकृष्ण को इनका पति का माना गया है. ब्रम्ह पुराण के अनुसार ” जो श्रृष्टि का आधार है और जिसे सच्चिदानंद स्वरुप कहा जाता है. ” ब्रज क्षेत्र में यमुना जी को ‘ यमुना मैय्या ‘ कहा जाता है. इसकी कुल लम्बाई 1376 किमी. है और यह प्रयागराज ( इलाहबाद ) में गंगा नदी से मिल जाती है.

यमुना नदी का उद्गम स्थल. 

हिमालय पर्वत श्रंखला में यमुनोत्री नामक जगह से निकलती है, जो 62000 मीटर की उचाई पर बन्द्र्पुछ चोटी से 7-8 मील उत्तर-पश्चिम में कालिंदी पर्वत से निकलती, जिससे इसका नाम ‘कालिंदी’ और ‘कालिंदजा’ कहा जाता है. अपने उद्गम स्थल से निकलकर कई मील तक पर्वतों के उबड-खाबड़ ढलान पर पुरे वेग से बहती हुई, वदियर अस्लौर, कमलाद जैसे छोटी और तोंश जैसी बड़ी नदी को अपने आँचल में समेटते हुए दून की घाटियों में प्रवेश करती है,यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है.

वहां से दक्षिण-पश्चिम के तरफ बहती हुई गिरी, सिरमौर, और आशा नामक छोटी नदियों को साथ लेकर सहरानपुर जिला के फैजाबाद नामक गाँव के पास अपने उद्गम स्थल 95 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद मैदानी इलाको में प्रवेश करती है. यमुनोत्री पर्वत पर हर वर्ष देश-विदेश से आये हुए लाखों दर्शनार्थी यमुना मैया के दर्शन करने उस मनोरम वादियों में घुमने के लिए आते रहते है.

यमुना नदी का मैदानी भाग. 

यह नदी पश्चिमी हिमालय से निकलकर लघभग 95 किलोमीटर का सफर तय करके उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में मैदानी भाग में प्रवेश करती है फिर यहाँ से होकर दिल्ली से आगरा और फिर वहां से प्रयागराज में जाकर चंबल और बेतवा नदी के जो  यमुना की प्रमुख सहायक नदियाँ है के साथ मिलकर गंगाजी (हिंदुवों का पवित्र तीर्थ स्थल इलाहाबाद ) में संगम करती है.

मैदानी भाग में पहुचने के साथ ही इसमें से कई नहरों को निकाल दिया गया है, जैसे फैजाबाद ( सहारनपुर ) से 2 नहरे पूर्वी यमुना नहर तथा पश्चिमी यमुना नहर खण्ड निकली है, फिर दिल्ली से लगभग 10 मील दक्षिण की तरफ ओखला से आगरा नहर निकाली गयी है.

यमुना नदी के तट पर बसे प्रमुख शहर. 

इस नदी के किनारे बहुत ही समृद्ध और प्रभावशाली नगर बसे हुए है जैसे – दिल्ली, नोयडा,आगरा, मथुरा, बागपत, कलपी, इटावा, फिरोजाबाद हमीरपुर और  प्रयागराज ( इलाहाबाद ), जैसे प्रमुख नगर और महानगर बसे हुए है,

यमुना की सहायक नदियाँ.

वदियर अस्लौर, कमलाद, टोंस, बेतवा, चंबल, केन, सिंध इत्यादि नदियाँ यमुना की सहायक नदियाँ है, जिसमे इसकी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सहायक नदी टोंस है, यमुना नदी सभी प्रमुख नदियों के जल को प्राप्त करके प्रयागराज में गंगा से मिल जाती है, जिसे हम संगम के नाम से जानते है.

3 – सरयू नदी ( Saryu River ).

रामप्रिया देविका घाघरा इत्यादि नामो को धारण करने वाली यह नदी, भारत की बहुत ही महत्वपूर्ण नदी है. इसी के किनारे बसे अयोध्या नगरी में रघुकुल के वंशज भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था. इसका वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है जहाँ पर इसके घाट पर इंद्र द्वारा 2 आर्यों का वध करने का उल्लेख मिलता है.  महाकवि कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है.

सरयू नदी का उद्गम स्थल.

उतराखंड के कुमाऊ क्षेत्र हिमालय की गोद में मानसरोवर से निकलकर उत्तरी भारत के राज्य में बहती है, हालाकि किसी भौतिक और प्राकृतिक कारण से यह यहाँ से लुप्त हो गयी, अब इसका उद्गम उत्तर-प्रदेश के लखीमपुर जिले सिंगाही जंगल में स्थित एक विशाल झील से निकली हुई है.

इसका बहुत बड़ा क्षेत्र भारत और नेपाल के बीच में बॉर्डर का काम करता है. इसकी कुल लम्बाई 350 किलोमीटर है, सरयू नदी को इसके उद्गम के पास काली नदी के नाम से जाना जाता है, वहां से जब यह मैदानी इलाके में प्रवेश करती है, तो इसमें करनाली और घाघरा नदी आकर मिल जाती है और इसका नाम सरयू हो जाता है.

सरयू का मैदानी भाग.

सरयू नदी हिमालय से निकलकर गंगा के मैदानी भाग में बहने वाली, प्रमुख नदी है, ब्रिटिश मानचित्रकार विशेषज्ञ लोग इसे अधिकतर घाघरा या गोगरा नाम से पुकारते है. उत्तर प्रदेश में भी यह नदी बस्ती और अयोध्या जिले को अलग करती हुई आगे बढती है, और अपनी सबसे बड़ी सहायक नदी राप्ती ( अरिकावती ) को साथ में यह गोरखपुर और सिद्धार्थनगर जिले को अलग करती है. यह नदी देवरिया जिले के बरहज नामक स्थान पर राप्ती से मिल जाती है.

यह नदी अपनी सहायक नदियों जैसे – राप्ती, बूढी राप्ती, कुवानो, मनोरमा, आमी, जान्हवी इत्यादी छोटी और बड़ी नदियों को साथ में लेकर आगे बढती है, और बिहार के आरा और छपरा जिला के पास जाकर गंगा में मिल जाती है. सरयू नदी पर टनकपुर ( उत्तराखंड ) में बाँध बनाकर शारदा नहर निकाली गयी है, जो भारत की सबसे बड़ी नहर प्रान्लियों में से एक है.

सरयू के किनारे बसे प्रमुख शहर.

इसके किनारे पर आजमगढ़, सीतापुर, बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, टांडा, टनकपुर, दोहरीघाट, बलिया, आरा, छपरा इत्यादि प्रमुख नगर बसे हुए है.

भारत की प्रमुख नदियाँ

4 – ब्रम्हपुत्र नदी ( Bramhputra River ).

भारत में लगभग सभी नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते है लेकिन ब्रम्हपुत्र नदी एक अपवाद के रूप में है, ब्रम्हपुत्र नदी सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि कई सभ्यताओं और संस्कृतियों को अपने किनारे पर जन्म देने वाली नदी के रूप में जाना जाता है, आर्य, मंगोल, तिब्बती, मुग़ल इत्यादि संस्कृतियों का गवाह रहा यह नदी भारत में गंगा, सिन्धु, सरस्वती के बाद सबसे बड़ी नदी मानी जाती है. ब्रम्हपुत्र पुरे एशिया की सबसे लम्बी नदी है.

ब्रम्हपुत्र का उद्गम स्थल. 

हिमालय के उत्तर में कैलाश पर्वत के निकट जिमा यान्ग्जांग झील जो पुरंग जिले ( तिब्बत ) में मानसरोवर झील के पास निकलती है जहाँ इसे यरलुंग त्संग्पो कहा जाता है, इसकी कुल लम्बाई लगभग 2900 किमी. तिब्बत से निकलकर यह नदी भारत के अरुणांचल प्रदेश में प्रवेश करती है जहाँ इसे ब्रम्हपुत्र के नाम से जाना जाता है.

इस नदी पर कई सारे परियोजना बने हुए है, जैसे तीस्ता बराज परियोजन जोकि सिचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत में इस नदी के द्वारा 12000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है, असम में भी एक जल विद्युत केंद्र ‘कोपली हाइडल प्रोजेक्ट’ बनाया गया है.

ब्रम्हपुत्र का मैदानी भाग.

उचाई को छोड़कर जब यह मैदानी भागों में प्रवेश करती है तो इसको दिहांग नाम से जाना जाता है, असम में इस नदी को अधिकतर ब्रम्हपुत्र के नाम से ही संबोधित किया जाता है, लेकिन बोडो जनजाति के लोग इसे भुल्लम-वुथुर ( जिसका अर्थ – कल-कल की आवाज करना ) भी कहते है. डिब्रूगढ़ और लखिमपुर के बीच में यह नदी दो भागों में बट जाती है, और बीच में मजुला द्वीप क निर्माण करती है.

तिब्बत से होकर यह अरुणांचल प्रदेश के रास्ते से भारत में प्रवेश करती है,  और कई परियोजनाओं को इसके तटबंध पर शुरू किया जाता है, असम और बांग्लादेश में यह नदी सिचाई से ज्यादा नौकवाहन के लिए प्रसिद्ध है, यह नदी बंगाल के मैदानी भाग से लेकर डिब्रूगढ़ तक यानी 1126 किलोमीटर तक नौकायान करने के योग्य है. इसके रास्ते से ही भारी सामान और कच्चा माल का आयत-निर्यात होता रहता है.

बाद में यह नदी अपनी कई सारी सहायक नदियों के साथ में मिलकर आगे बढ़ते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है, और पद्मा ( गंगा ) से संगम करती है, जिसके बाद इसका नाम मेघना हो जाता है, और फिर आगे चलकर सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है.

भारत की प्रमुख नदियाँ

ब्रम्हपुत्र की सहायक नदियाँ.

दिबांग, लोहित, धनसिरी, कोलंग, मानस, कामेंग, रैडक, बेकी, जालंधा, तीस्ता, सुबनसिरी इत्यादि छोटी और बड़ी नदियाँ ब्रम्हपुत्र की सहायक नदियाँ है, ब्रम्हपुत्र की औसत गहराई 38 मीटर और अधिकतम गहराई 120 मीटर है. असम के पास यह लगभग 10 किलोमीटर तक चौड़ी है.

ब्रम्हपुत्र के किनारे बसे प्रमुख नगर.

यह नदी 3 देश तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है, जिसके किनारे बसे प्रमुख शहर डिब्रूगढ़, गुवाहाटी, तेजपुर इत्यादि प्रमुख नगर स्थित है.

तो दोस्तों कैसी लगी आप सबको हमारे द्वारा दी गयी भारत की प्रमुख नदियाँ के बारे दी गयी यह जानकारी हमें नीचे कमेन्ट करके जरुर बताये और अगर कही गलती हुई है, तो उसे भी बताये हम उसे ठीक करने का प्रयास करेंगे, हम आगे भी आप सब के लिए ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण विषयों के साथ आप के लिए हाजिर रहेंगे.

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