महादेवी वर्मा का जीवन परिचय ( Biography of Mahadevi Verma )

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय ( Biography of Mahadevi Verma )

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय ( Biography of Mahadevi Verma )

महादेवी वर्मा या आधुनिक मीरा जिन्होंने स्वतंत्रता के पहले और स्वतंत्रता के बाद का भारत को देखा, और उन सभी कष्टों को अपने रचनाओं के माध्यम से दूर करने और नई दिशा देने की कोशिश की आधुनिक युग के सबसे लोकप्रिय कवित्री होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा का नाम भी मिला, महाकवि निराला ने उन्हें हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती भी कहा. चलिए हम सभी इनके जीवन को और अच्छे तरीके से जानते है.

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
    महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जन्म कब और कहाँ हुआ था ? 

महादेवी वर्मा जी के जन्म को लेकर कोई निश्चित प्रमाण नही है, लेकिन अधिकतर लोग उनके जन्म को 24 मार्च 1902 ( होली के दिन ) को फर्रुखाबाद ( उत्तर प्रदेश ) में  परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा और माता का नाम हेमरानी देवी था, इनके बाबा बाबू बांके बिहारी जी उस दिन बहुत प्रसन्न थे क्योंकि इनके घर में लगभग 7 पीढ़ियों के बाद किसी कन्या का जन्म हुआ था इसलिए उन्होंने इसे महादेवी का आशिर्बाद मानकर कन्या का नाम महादेवी रख दिया.

इनके पिता श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा जी भागलपुर के कालेज में प्राध्यापक थे, वे शिकार के बहुत शौक़ीन थे और मांसाहार प्रेमी थे, लेकिन ठीक इसके विपरीत इनकी माता हेमरानी देवी जी एक कुशल गृहणी और पूजा-पाठ में व्यस्त रहने वाली महिला थी.

महादेवी वर्मा जी की प्रारंभिक शिक्षा और वैवाहिक जीवन  ?

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर के एक मिशन स्कूल से प्रारंभ हुए तथा इसके साथ ही इन्हें घर पर भी अंग्रेजी, संस्कृत, चित्रकला, संगीत आदि की शिक्षा मिलती रही. लेकिन उसी बीच इनका विवाह बरेली के नवाब गंज के रहने वाले श्री नारायण स्वरुप वर्मा से इनका विवाह कर दिया जो उस समय दसवी में थे.

बाद में इन्होने ससुराल से ही अपनी पढाई जारी रखी और 1919 इलाहबाद के क्रास्थवेट कालेज में एड्मिसन ले लिया और वही के छात्रावास में रहकर अपनी पढाई पूरी की, वर्ष 1921 में आठवी कक्षा में प्रांत भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया, वर्ष 1925 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और 1932 में उन्होंने एम.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पास किया, जब इन्होने एम.ए. पास किया तब तक इनकी दो कविताये ” रश्मि” और “निहार” प्रकाशित हो चुके थे.

इनका विवाह तो हो चूका था लेकिन इन्होने शादी के बंधन में बधना स्वीकार नही किया और अपने पति नारायण स्वरुप से अलग ही रहने का फैसला किया, लेकिन उन दोनों के मन में कभी भी इस बात की कोई ग्लानी नही थी, महादेवी जी ने ज़िन्दगी भर श्वेत वस्त्र ही पहना. और 1966 में अपने पति नारायण स्वरुप वर्मा के निधन के बाद ये स्थाई रूप से इलाहबाद में रहने लगी.

महादेवी वर्मा जी का कार्य क्षेत्र ?

महादेवी जी इलाहाबाद में ” प्रयाग महिला विद्यापीठ ” महत्वपूर्ण योगदान दिया जो उस समय महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी कदम था. वर्ष 1923 में उन्होंने ” चाँद ” पत्रिका ( महिलाओ की प्रमुख पात्रिका ) का कार्यभार संभाला.

कहा जाता है की ये बौद्ध धर्म से इतना प्रभावित हुई की इन्होने अपनी सम्पूर्ण ज़िन्दगी महिला बौद्ध भिछुणी बनकर गुजारने का संकल्प क्र लिया लेकिन फिर गांधी जी के संपर्क में आकर ये देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग ली.

प्रयाग महिला विद्यापीठ में शुभद्रा कुमारी चौहान की अध्यक्षता में 15 अप्रैल 1935 को पहला अखिल भारतवर्षीय कवि सम्मलेन को संपन्न कराया, और भारत में महिला कवि सम्मेलनों की नीव रखी, वर्ष 1936 में इन्होने नैनीताल के उमागढ़ नामक गाँव में ” मीरा मंदिर ” नामक एक बंग्ला बनवाया और वही रहने लगी, और वहां की महिलाओं के लिए शिक्षा-दीक्षा और उनके उत्थान का कार्य करने लगी, आजकल उसे महादेवी साहित्य संग्रहालय के नाम से जाना जाता है.

महादेवी जी का पूरा जीवन लेखन, सम्पादन, और अध्यापन गुजरा इन्होने महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत प्रयास किये और उसमे सफल भी रहीं. इन्होने 1955 में इलाचंद्र जोशी के साथ मिलकर “साहित्य संसद” की स्थापना और में इलाहबाद में की और उसकी सम्पादक भी बनी जो उस संस्था का प्रमुख पत्र था. इन्हें हिंदी साहित्य में रहस्यवाद का प्रवर्तक भी माना जाता है. रंगवाणी नाट्य संस्था ( 1977 ) की स्थापना भी इन्होने इलाहबाद में किया.

महादेवी वर्मा जी को कौन-कौन से पुरष्कार मिले है ?

इनको अपना पहला पुरुष्कार 1934 में 500 रुपये का ‘नीरजा’ तथा 1944 में ‘आधुनिक-कवि’ और ‘नीहार’ के लिए 1200 रुपये मिला था, उसके बाद 1956 को भारत सरकार के द्वारा पद्म भूषण तथा 1982 में काव्य-संकलन ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरष्कार और वर्ष 1988 में ‘पद्म विभूषण’ का पुरूस्कार मिला.

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महादेवी वर्मा जी की मृत्यु कब हुई थी ? 

महादेवी जी का निधन 11 सितम्बर 1987 को लगभग 80 वर्ष की उम्र में इनकी मृत्यु हो गयी और इन्ही के साथ हिंदी साहित्य के युग का समापन हो गया . इन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन ही महिला उत्थान और काव्य लेखन के लिए सौप दिया, इन्हें हिंदी साहित्य और संगीत के अलावा ये एक कुशल चित्रकार और बहुत अच्छी अनुवादक भी थी, इन्हें हिंदी साहित्य के सभी महत्वपूर्ण पुरष्कार प्राप्त हुआ है, लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूज्यनीय बनी रही.

महदेवी वर्मा जी की कवितायेँ ( रचनाये ).

महादेवी जी की रचनाये निम्न लिखित है –

काव्य-संग्रह –

नीहार ( 1930 ), रश्मि ( 1932 ), नीरजा ( 1934 ), सांध्य-गीत ( 1936 ), दीप-शिखा ( 1942 ), सप्तपर्णा ( 1959 ), प्रथम आयाम ( 1974 ), अग्नि रेखा ( 1990 ),  आत्मिका, परिक्रमा, सन्धिनी ( 1965 ), यामा ( 1936 ),  गीतपर्व, स्मारिका, दीपगीत, नीलांबरा और आधुनिक कवि महादेवी आदि.

गद्य संग्रह –  

अतीत के चलचित्र (१९४१),  स्मृति की रेखाएं (१९४३),  शृंखला की कड़ियाँ (१९४२),  विवेचनात्मक गद्य (१९४२),  पथ के साथी (१९५६),  क्षणदा (१९५६), साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (१९६२), संकल्पिता (१९६९),  मेरा परिवार (१९७२), संस्मरण (१९८३), हिमालय (१९६३), और गिल्लू 

बाल साहित्य –

आज खरीदेंगे हम ज्वाला, ठाकुरजी भोले हैं.

तो दोस्तों कैसी लगी आप सबको हमारे द्वारा महादेवी वर्मा का जीवन परिचय के बारे में दी गयी जानकारी हमें कमेन्ट करके जरुर बताये, अगर इसमें कुछ गलती हो तो आप हमें बातये जिससे हम उसमें सुधार कर सके. 

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