दीपावली(दिवाली)

दीपावली(दिवाली) का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. दीपावली/दिवाली 2023 में कब है

दीपावली/दिवाली की शुरुवात 10 नवम्बर को धनतेरस के शुरुवात से शुरू हो रहा है, 11 नवम्बरको छोटी दीपावली और 12 नवम्बर को दिवाली है,13 नवम्बर को गोवर्धन पूजा और 14 नवम्बर को भाई-दूज , के पर्व के साथ इस त्यौहार का समापन हो रहा है ||

दीपावली(दिवाली)
दीपावली(दिवाली)

दीपावली(दिवाली) क्यों मनाई जाती है, दिपावली त्यौहार की शुरुवात.

दिवाली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के अमावस्या में मनाया जाता है यह शरद ऋतु में पड़ने वाला महत्वपूर्ण त्यौहार है, खरीफ की फसल काटने के बाद या गर्मी की फसल कटने के बाद यह एक महत्वपूर्ण पर्व है. अन्धकार पर प्रकाश की जीत ( बुराई पर अच्छाई की जीत ) के इस पर्व की त्यौहार की शुरुवात त्रेता युग में हुई थी. जब भगवान श्रीराम ने अपने पिता के द्वारा दी हुई 14 वर्ष के वनवास के समय को पूरा करके और माता सीता का छल से हरण करने वाले रावण को परास्त करके अपने घर अयोध्या वापस आ रहे थे.

उनके आने की ख़ुशी में सभी अयोध्यावासीयों ने अपने प्रिय राजकुमार श्रीराम के स्वागत में पूरे अयोध्या में घी के दिए जलाये जिससे कार्तिक महीने के उस काली रात को पूरा वातावरण प्रकाश से जगमगा गया. तभी से आज तक कार्तिक महीने के में पड़ने वाले इस त्यौहार को भारत के आलावा नेपाल, मारिशश, श्रीलंका, गुयाना इत्यादी देशो में  बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.

पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली/दीपावली का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार दीपक ( दिए ) को सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हुए माना जाता है की सूर्य जो उर्जा और प्रकाश का दाता है वह कार्तिक माह में अपनी स्थिति बदलता है इसलिए दीपावली का पर्व मनाया जाता है. कुछ लोग इसे यमराज और नचिकेता के कथा से जोड़ते है, हालांकि जितने भी मान्यताएं है उन सभी में सिर्फ यही उल्लेख ही की इस पर्व को बुराई पर अच्छाई के जीत लिए अन्धकार पर प्रकाश की जीत के लिए माने जाता है.

दीपावली(दिवाली) का त्यौहार.

दीपावली की इस पर्व के आने से एक सप्ताह पूर्व ही घरों की साफ़-सफाई, रंगाई-पुताई करके घरों को एकदम स्वच्छ कर दिया जाता है, दीपावली के त्यौहार पर बाजार और दुकाने तरह-तरह की मिठाई, कपड़े, पटाखे और झालरों की बिक्री हेतु सज जाती है और बहुत अच्छा व्यापार करती है. लोग दीवाली के इस त्यौहार पर नए-नए कपडे और बर्तन की खरीदारी करते है, और घरों की सजावट के लिए सामान खरीदते है.

दिवाली के प्रथम दिन भगवान कुबेर की पूजा की जाती है जिसे हम धनतेरस के रूप में जानते है, धनतेरस के इस पर्व पर हम बर्तनों, चांदी या सोने के सिक्के, आभूषण की खरीददारी करते है. इसके दूसरे दिन यानी की छोटी दीवाली/दीपावली जिसे हम नरक चतुर्दशी के नाम से भी जानते है, इस दिन यम की पूजा की जाती है और दीपक/मोमबत्ती जलाया जाता है. दिवाली की दिन सुबह से ही घरों में चहल पहल रहती है तरह-तरह के व्यंजन बनाये जाते है, इस दिन सूरन ( कान ) की सब्जी मुख्यतः रूप से हर जगह बनती है, पकौड़े और मिठाई बनती है, जिसे अपने हित-मित्र नात-रिश्तेदार और परिवार के साथ खाया जाता है. शाम को सभी लोग मिलकर दिए जलाते है और मिठाई खाते है और ढेर सारे पटाखे फोड़ते है.

विभिन्न वस्तुओ के वैज्ञानिक नाम. Scientific names of different things.

लक्ष्मी – गणेश की पूजा. ( Diwaali )

दिवाली के इस पावन पर्व पर दीपावली के दो दिन पहले से ही धन और सुख-समृद्धि की प्रतीक माता लक्ष्मी, रिधि-सिद्धि के दाता और हमेशा ही शुभ करने वाले भगवान गणेश, धन-धान्य से परिपूर्ण करने वाले भगवान कुबेर और संगीत-विद्या और बुद्धि की जननी माता सरस्वती की पूजा की जाती है. प्रत्येक घर में लक्ष्मी-गणेश और सरस्वती जी की मूर्तियों या फोटो के सामने सपरिवार उनकी पूजा की जाती है, और परिवार के मंगलकामना की प्रार्थना की जाती है. यह पर्व हिन्दू धर्म के अलावा सिख और जैन धर्म के लोग बभी बड़ी धूम-धाम से मनाते है, सिखों के प्रमुख मंदिर स्वर्ण-मंदिर की स्थापना 1577 में इसी दिन हुई, जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति और उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को ज्ञान की प्राप्ति इसी दिन हुई थी.

दीपावली प्रार्थना – 

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ –  असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर ले जाओ, ॐ शांति शांति शांति।।

भारत के अलावा और कहाँ दीपावली(दिवाली) मनाई जाती है. ( Diwaali )

भारत के अलावा दीपावली का यह पर्व लगभग हर उस देश में मनाया जाता है जहाँ पर हिन्दू धर्म के लोग रहते है या भारतीय रहते है, जैसे नेपाल, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, म्यांमार, त्रिनदाद और टोबैको, अफ्रीका महाद्वीप, आदि देशों में इस पर्व को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. और कई देशों में तो इस दिन छुट्टी रहती है. कई देश में इस दिन अपने घर के पालतू जानवर को भी सजाया जाता है और उनको व्यंजन खिलाया जाता है, दीवाली एक ऐसा पर्व है जिसे सभी लगभग सभी धर्मों के लोग मनाते है, अकबर, बहादुर शाह जफ़र, शाह आलम द्वितीय इत्यादि मुग़ल शाशक दीपावली के इस पर्व को मानते थे और इसमें सम्मिलित भी होते थे.

दिवाली के इस पर्व पर हम यह शपथ लेते है की इस भाईचारे और सद्भावना के इस त्यौहार की गरिमा चिरकाल तक बनाये रखेंगे और आपसी सहयोग और समझदारी से इस दीपोत्सव के पर्व को हम मिलजुलकर मनाएंगे, यह पर्व आपसी झगड़े को खत्म करके एक दूसरे के साथ रहकर इस पर्व का मनाने वाला पर्व है. इसमें सभी धर्मों के और सभी सम्प्रदायों के लोगों को साथ में लेकर चलने का समय है. तो आइये इस उजाले के पर्व पर हम अपने अंधकार को दूर करते है और मिलजुलकर दिवाली मनाते है.

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