Amarnath Yatra

Amarnath Yatra की सारी जानकारी एक बार जरुर पढ़ लें जिससे आपको किसी असुविधा का सामना न करना पड़ें |

Amarnath Yatra की सारी जानकारी एक बार जरुर पढ़ लें जिससे आपको किसी असुविधा का सामना न करना पड़ें |

Amarnath Yatra दुनिया के सभी सनातनियों के लिए और जो हिन्दू धर्म में आस्था रखते है उनके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है, भगवान शिव को समर्पित यह स्थल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में स्थित है, समुद्र तल 13600 फ़ीट की उचाई पर स्थित यह धाम भगवान भोले नाथ को समर्पित है, यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी जिसे उनके सिवा कबूतर के जोड़े ने सुन लिया था और ऐसी मान्यता है की वो कबूतर के जोड़े आज भी वही रहते है. प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा के दिन यह शिवलिंग अपने पुरे आकार में होता है तथा अमावस्या के दिन यह पूरी तरह विलुप्त हो जाता है.

अगर आप भी बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के इच्छुक है और आपको वहां के बारे में कुछ नहीं पता है तो चिंता मत करिए आप बिलकुल सही जगह आये आज हम आपको Amarnath Yatra के बारें में पूरी सही और स्पष्ट जानकारी देंगे जिससे की आपको वहां कोई दिक्कत और परेशानी का सामना ना करना पड़ें.

Amarnath Yatra
Amarnath Yatra

अमरनाथ यात्रा कहाँ से शुरू होती है?

Amarnath Yatra में 52 दिनों तक चलने वाली यात्रा दो मार्गों से होती है। एक मार्ग है अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और दूसरा मार्ग है गांदेरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ यात्रा करने के लिए हर साल लाखों की तादाद में भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचते हैं। रास्ते की ख़ूबसूरती आपका मन मोह लेगी जिसमे आपको खूबसूरत पहाड़, झरना, जलप्रपात, फूल आपके मन को मोह लेगा और आपको धरती पर स्वर्ग का एहसास होगा.

अगर आप संपन्न घराने से है और आपके पैसा है तो हेलीकाप्टर के द्वारा भी यात्रा कर सकते है जिसकी आने जाने की कीमत 15000 प्रति व्यक्ति है, या फिर आप खच्चर के द्वारा भी यात्रा कर सकते है लेकिन अगर आपको एक रोमांचित और न भूलने वाला अनुभव चाहिए तो आपको पैदल यात्रा करना ही बढ़िया रहेगा |

अमरनाथ यात्रा जाने के लिए क्या करना पड़ता है ?

बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू करने से पहले आपको मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना पड़ेगा, क्योंकि यह रास्ता अत्यंत दुर्गम और जोखिम भरा है और लगभग 34 किलोमीटर का सफ़र पैदल करना पड़ता है जिसमे लगभग आपको 5 दिन का समय लगेगा.

Amarnath Yatra शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना बहुत जरूरी होता है बिना रजिस्ट्रेशन के आप यह यात्रा नहीं कर सकते है, रजिस्ट्रेशन करने के लिए आप श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट jksasb.nic.in के इस लिंक पर क्लिक करके आपको अपनी पूरी जानकारी भरनी होगी और फिर उसे मोबाइल नंबर पर आये OTP के माध्यम से वेरीफाई करना होगा उसके बाद 150 रूपये की फीस कटाकर आप यात्रा परमिट प्राप्त कर सकते है.

श्री अमरनाथजी यात्रा के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाण पत्र क्या है ?

Amarnath Yatra यात्रा के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में लगने वाला अनिवार्य डॉक्यूमेंट है, यह स्वास्थ प्रमाण पत्र आप किसी भी अधिकृत डॉक्टर से अपने स्वास्थ का परिक्षण करवा कर बनवा सकते है और ये डाक्यूमेंट 8 अप्रैल 2024 के पहले का नहीं होना चाहिए| इस यात्रा में 13 वर्ष कम और 70 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं रहती है, साथ ही साथ गर्भवती महिला जो 13 हफ्ते का गर्भ हो चुका है उसे भी इस यात्रा की अनुमति नहीं रहती है|

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Amarnath Yatra के दौरान क्या-क्या ले जाए ?

इस दुर्गम और जोखिम से भरे सफ़र पर ज्यादा सामान लेकर जाना उचित नहीं रहता है क्योंकि चढ़ाई बहुत है इससे आपके स्वास्थ को ख़तरा हो सकता है फिलहाल जो जरुरी सामान है उसकी लिस्ट निम्न है :- गर्म कपड़े, बढ़िया ट्रैकिंग जूते, खाने-पीने के लिए कुछ बिस्किट, पहचान पत्र, कपूर ( ऊंचाई पर सांस लेने में दिक्कत होने पर इसके सूंघ कर आक्सीजन लेवल सही रखा जाता है ) दैनिक उपयोगी सामान ये सब जरुरी है इन्हें लेकर आप जरुर जाए.

छड़ी मुबारक क्या है ?

श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से सैकड़ों साधू-संत हाथ में त्रिशूल,भाला, डमरू, इत्यादि सामान लिए अपनी यात्रा प्रारंभ करते है और भगवान शंकर का नारा लगाते हुए अपनी यात्रा करते है जिसका प्रथम पड़ाव पम्पोर तथा दूसरा विजबिहार तथा अंतिम अनंतनाग है.

इस पुरे यात्रा के दौरान आप एक सुखद अनुभूति करेंगे आपको लगेगा की अगर आप यहाँ नहीं आते तो फिर आप का जीवन व्यर्थ था हर हिन्दू को अगर वह शारीरिक रूप से सक्षम रहता है तो उसे एक बार जरुर Amarnath Yatra की यात्रा करनी चाहिए वरना वह अपने जीवन में एक रोमांचित सफ़र अनभिज्ञ रह जायेगा. ये अलग बात है की ये यात्रा सेना के जवान के निगरानी में होती है और बहुत ही सुरक्षा के साथ इसको पूरा कराया जाता है क्योंकि कुछ धर्म के दुश्मन हमेशा इस यात्रा में बांधा डालने का काम करते आयें है. तो कैसी लगी आपको हमारी यह जानकारी हमें कमेन्ट करके जरुर बताये ” बम-बम भोले”

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