स्वतंत्र वीर सावरकर

स्वतंत्र वीर सावरकर के जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें | veer saavarakar ke janmadin par unake jeevan se judee kuchh rochak baaten |

स्वतंत्र वीर सावरकर के जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें | veer saavarakar ke janmadin par unake jeevan se judee kuchh rochak baaten.

स्वतंत्र वीर सावरकर पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर यह एक ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन्होंने लड़ाइयाँ सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ ही नहीं अपितु अपने देश के अंदर व्याप्त सबसे बड़ी लड़ाई छुआछुत की लड़ाई से भी लड़ने का काम किया और आज ये इन्ही की दें है, की हम छुआछुत जैसी महामारी के लड़ाई में आधी लड़ाई जीत चुके है. तो आइये उनके जन्मदिवस के इस ख़ास मौके पर उनसे जुडी कुछ बाते शेयर करते है.

28 मई 1883 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के भगूर गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम दामोदर पन्त और माता का नाम राधाबाई था, ये 4 भाई बहन थे इनकी प्रारंभिक शिक्षा नासिक से हुई ये बचपन से ह बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के थे और पढ़ने-लिखने के शौक़ीन थे इन्हें अपने बचपन में ही गीता के श्लोक याद कर लिए थे.लोकमान्य तिलक की पत्रिका केसरी से प्रभावित होकर ये भी कविता और लेख लिखने लगें.

हिंदुत्व और हिन्दूवादी नेता के रूप में ?

आजकल हम जहाँ भी जाते है वहां पर एक शब्द हिंदुत्व जरुर सुनते है चाहे वो किसी का भाषण हो या फिर आपसी डिबेट ये शब्द बहुत प्रचलित है लेकिन क्या आपको पता है इस शब्द का प्रथम बार प्रयोग सावरकर ने ही किया था, वे एक हिन्दू और हिंदुत्ववादी नेता के रूप में बहुत प्रसिद्द थे, उनका मानना था की हिंदुत्व तभी जिन्दा रह सकता है जब सारे हिन्दू एक होकर इस पर काम करेंगे. यही कारण है की उन्हें 6 बार हिन्दू महासभा का अध्यक्ष चुना गया था.

क्या वीर सावरकर को दो बार आजीवन कारावास की सजा हुई थी ?

सावरकर दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें एक ही जीवन में दो बार आजीवन कारावास की सजा हुई थी. पहली सजा उन्हें अंग्रेज शासन के विरुद्ध षड्यंत्र रचने और विदेश से अवैध हथियार पहुचाने के जुर्म में तथा दूसरा नासिक षड्यंत्र के लिए उन्हें आजीवन कारावास के सजा हुई थी. जब उन्हें ब्रिटिश न्यायधीश ने दो बार अजीवन कारावास की सजा सुने तो इन्होने कहा- “मुझे बहुत प्रसन्नता है कि ब्रिटिश सरकार ने मुझे दो जन्मों का कारावास दंड देकर हिन्दू पुनर्जन्म सिद्धान्त को मान लिया है”. हालांकि बाद में उन्हें माफ़ीनाम देने के चलते रिहा कर दिया गया था.

सावरकर का अंग्रेजो से माफीनामा ?

ये बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है इस पर कोई भी सही टिपण्णी नहीं कर पाया है कुछ एक का कहना है की सावरकर ने अंग्रेजो से माफीनामा गांधी जी के कहने पर माँगा था, जबकि कुछ लोगों का मत इस पर भिन्न है उनका कहना है की सावरकर ने अंग्रेजो से माफ़ी तो मांगी थी लेकिन ये माफ़ी डर कर नहीं बल्की अपने दूरगामी सोच के रखते हुए मांगी थी उनका मानना था की यहाँ जेल में रहकर वह देश के लिए कुछ नही कर सकते है, कुछ करने के लिए उन्हें इस जेल से निकलना होगा. हालांकि सत्यता क्या है इसका जवाब सही-सही किसी के पास नही है, कुछ इन्हें कायर और कुछ इन्हें वीर बुलाते है.

स्वतंत्र वीर सावरकर RSS और भारतीय जनसंघ से कब जुड़े ?

जिन पाठको और लोगों के मन में ये सवाल आता है उनको मई बता दूँ की विनायक दामोदर सावरकर ( वीर सावरकर ) का जनसंघ ( भाजपा ) या फिर आरएसएस ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) से कोई दूर-दूर तक नाता नहीं था, हां ये अलग बात है की आरएसएस और जनसंघ में इनको बहुत माना जाता था, 28 मई 2014 को मोदी सरकार बनने के दो दिन बाद ही इनका जन्मदिवस था जिस पर तत्कालीन और वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ( नरेंद्र मोदी ) ने इनके चित्र पर फूल माला अर्पण कर विपक्षियों को एक मुद्दा दे दिया था.

सावरकर के उपर बनी फ़िल्में ?

1958 में एक हिन्दी फिल्म काला पानी (1958 फ़िल्म) बनी थी। जिसमें मुख्य भूमिकाएं देव आनन्द और मधुबाला ने निभाया थीं। जिसका निर्देशन राज खोसला ने किया था। इस फिल्म ने 1959 में दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीते थे। 1996 में मलयालम में प्रसिद्ध मलयाली फिल्म-निर्माता प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित फिल्म काला पानी बनी थी। इस फिल्म में हिन्दी फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर ने सावरकर का अभिनय किया था।

महेश मांजरेकर के निर्देशन में एक और फिल्म जिसका नाम स्वातंत्रवीर सावरकर है का मोशन पोस्टर उनके जन्मदिवस पर जारी किया गया जिसमे बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता रणदीप हुड्डा सावरकर का किरदार निभा रहें है, जिसकी सूटिंग इसी साल अगस्त में शुरू कर दी जायेगी, रणदीप सावरकर के लुक में बहुत ही फिट बैठ रहे है उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो रहा है.

स्वतंत्र वीर सावरकर
स्वतंत्र वीर सावरकर

सावरकर ने अपने जीवन में जितना सहा और देखा है उसके अनुरूप उन्हें ख्याति नही मिल पायी, काले पानी की सजा में उन्हें कोल्हू के बैल की तरह काम में लिया जाता नारियल छीलकर उनसे तेल निकलवाया जाता था और उन्हें भरपेट भोजन तक नसीब नही होता था, यूँ ही आज़ाद रहक्र हम चाहे जो कह दें लेकिन हम स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वालों के दर्द को कभी नहीं समझ सकते है. पोर्ट ब्लेयर जेल के सामने उनकी एक प्रतिमा बनी है और वहां के हवाई अड्डे का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखा गया है.

तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को स्वतंत्र वीर सावरकर के जीवन के बारे में ये जानकारी हमें नीचे कमेन्ट करके जरुर बताये अगर हमसे कुछ त्रुटी हुई है तो आप हमें सुझाव दे हम उसे शीघ्र ही सही करने की कोशिश करेंगे मिलते जन्मदिवस विशेष के अगले पार्ट में धन्यबाद.

भगत सिंह के जीवन के बारें में.

कबीरदास को जाने.

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