CAA नागरिकता संसोधन अधिनियम

नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) क्या है, क्या मुस्लिमों को इस से डरने की जरुरत है ?

नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) क्या है, क्या मुस्लिमों को इस से डरने की जरुरत है ?

CAA यानी Citizenship Amendment Act 2019 दिसम्बर 2019 में संसद से पारित इस क़ानून को फिलहाल पूरे देश में लागू कर दिया गया है, आज इस लेख के माध्यम से हम नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) के बारे में विस्तृत रूप से बात करेंगे और आपको यह बताएँगे की इस कानून से क्या होगा और किसको डरने की जरूरत है और किसको नहीं, अभी तक इस इस क़ानून के बारे में जितने मिथक और अनुमान है हम आज उस पर से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे |

नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) क्या है ?

नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 का प्रावधान है की 31 दिसम्बर 2014 के पहले भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से आये हुए अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, और इसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का क़ानून है, जिसके तहत वहां रह रहे अल्पसंख्यक वर्ग ( हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, और इसाई ) को स्थाई और निर्भय नागरिकता देने का प्रावधान है क्योंकि उनके लिए भारत ही एक मात्र उनकी आखिरी उम्मीद का देश है अगर भारत नही साथ देगा तो फिर कौन देगा.

CAA नागरिकता संसोधन अधिनियम कब लागू हुआ ?

वर्तमान मोदी सरकार ने 11 दिसम्बर 2019 में संसद में इस कानून को पास करा लिया था जिसमे इसके पक्ष में 125 वोट मिले थे और इसके विपक्ष में 105 वोट पड़े थे और 12 दिसम्बर 2019 में इसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गयी थी, लेकिन इसे लागू नही किया गया था अब 11 जनवरी 2024 में इस कानून को पूरे देश में लागू कर दिया गया है |

CAA नागरिकता संसोधन अधिनियम का विरोध क्यों हो रहा है ?

इस अधिनियम का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिमों द्वारा किया जा रहा है उसका दो मुख्य कारण है पहला उन्हें लग रहा है की CAA के बाद जब NRC आएगी तो वो अपने आप को इस देश के निवासी नहीं साबित कर पायेंगे और उन्हें कैम्पों में रहने के लिए मजबूर किया जाएगा  और इसका दूसरा प्रमुख कारण है की ये लोग कह रहे है की सिर्फ वहां के हिन्दू, सिख, पारसी इत्यादि अल्पसंख्यक लोग ही नहीं परेसान है बल्कि वहां के मुस्लिम भी परेशान है और अगर वह भारत में शरण लेना चाहते है तो उनको भी यहाँ की नागरिकता दिया जाय.

जबकि सरकार का और लगभग 80% लोगों का मानना है की इन तीन देशों का गठन धर्मनिरपेक्ष के रूप में नहीं हुआ है उन्होंने अपने धर्म को लेकर एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग की वजह से उनका गठन हुआ है तो उनको इस देश की नागरिकता किस आधार पर दिया जाय जो की एक हद तक सही भी है.

क्या इस CAA अधिनियम से डरने की जरूरत है ?

नागरिकता संसोधन अधिनियम क़ानून से भारत के किसी भी नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है यह क़ानून नागरिकता देने का काम करता है, और जो लोग यहाँ पहले से मौजूद है वो तो इस देश के नागरिक ही हुए, इसलिए इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक को डरने की वजह नहीं है ?

CAA के लिए जरुरी दस्तावेज क्या है ?

नागरिकता संसोधन अधिनियम के तहत भारत की नागरिकता लेने के लिए आपके पास निम्नलिखित में से कोई भी दस्तावेज होने जरुरी है.

  • जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
    राज्य जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.
    भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट.
    किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र जिसमें आधार, वोटरकार्ड, पैनकार्ड भी शामिल हैं.
    सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज हो.
    बैंक/डाक घर में खाता हो .
    सक्षम प्राधिकरण की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र हो .
    बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र हो.
    न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज हो.

इन सभी दस्तावेजों के अलावा कोई भी ऐसा कागज जिसको सरकार द्वारा जारी किया गया है वो मान्य होगा

भारतीय नागरिक किसे माना जाता है ?

भारत के राष्ट्रीय पोर्टल के अनुसार, भारतीय नागरिक ये लोग हैं जो
-26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के समय भारत में निवास
-भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई 1987 से पहले जन्म हुआ हो
-उसके एक या दोनों पेरेंट्स भारत के हों, जिनका जन्म भारत में हुआ हो
-कम से कम पांच वर्षों से भारत के सामान्य निवासी रहे हों

इलेक्टोरल बांड क्या है ?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *